प्रो. सरोज शर्मा
अध्यक्ष, राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, नोएडा,
भारत
शैक्षिक योग्यता:
एम. एससी. (वनस्पति विज्ञान),एम. ए. (समाजशास्त्र), एम.एड,
एम.बी.ए., एम.फिल एवं पीएचडी (शिक्षा)
विशेषज्ञता :
पादप रोग विज्ञान (वनस्पति विज्ञान), क्रिमिनोलॉजी
(समाजशास्त्र), शैक्षिक प्रशासन एवं प्रबंधन (एम.एड एवं एम. फिल.), एच
आर (एम.बी.ए.)
अभिरुचि का क्षेत्र:
स्कूल और शिक्षक शिक्षा के विभिन्न स्तरों में पाठ्यक्रम
निर्माण, शिक्षण विधियों में नवाचार, शांति, लिंग और पर्यावरण शिक्षा,
इण्डिक अध्ययन और समकालीन शिक्षा, सामुदायिक सेवा, जीवन कौशल और मूल्य
शिक्षा में प्राचीन भारतीय विज्ञान के महत्व को परिभाषित
करना।
वे समकालीन शैक्षिक प्रणाली में विभिन्न स्तरों पर शिक्षा के
विभिन्न आयामों से जुड़ी हैं और संबंधित क्षेत्रों के गुणवत्ता
संबंधी पक्षों के हल के लिए सक्रिय हैं।
उनके पास संकाय सदस्य के रूप में समृद्ध और विविध शैक्षिक अनुभव
है तथा शिक्षा में स्नातक तथा स्नाकोत्तर (बी.एड., एम.एड.)
पाठ्यक्रम कराने वाले विभिन्न संस्थानों के अकादमिक प्रमुख के रूप
में प्रभावी प्रशासनिक अनुभव है। वे शिक्षा के क्षेत्र में
यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ एजुकेशन, गुरू गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ
विश्वविद्यालय, नई दिल्ली की प्रथम संकायाध्यक्ष रही हैं।
वे अनेक शैक्षिक संघों की सदस्य हैं और यूनिसेफ,
यूनेस्को, आईसीएसएसआर तथा अन्य सामाजिक और सांस्कृतिक
मंचों की विभिन्न परियोजनाओं में सक्रिय रूप से शामिल हैं। वर्तमान
में आप सरकारी निकायों, अध्ययन बोर्डों तथा भारत के
कई विश्वविद्यालयों के शैक्षिक परिषदों की सदस्य
हैं। आप स्कूल पाठ्यक्रम के विभिन्न स्तरों के साथ-साथ शिक्षक
शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी
विभिन्न पाठ्यचर्या निर्माण और रूपरेखा निर्माण समिति की सदस्य भी
रही हैं। उनके कुछ महत्वपूर्ण प्रकाशनों में शामिल हैं - शिक्षा पर
विभिन्न पुस्तकें तथा कई पाठ्य पुस्तकें और पोस्ट
ग्रेजुएट डिप्लोमा फॉर स्कूल लीडरशिप एण्ड मैनेजमेंट
(पीजीडीएसएलएम), प्रारंभिक शिक्षा में डिप्लोमा तथा
बी.एड. और एम.एड. कार्यक्रमों में मॉड्यूल तथा
विभिन्न विश्वविद्यालयों का पीएचडी कोर्स वर्क। वे भारत तथा विदेश
में विभिन्न प्रमुख राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों और
शीर्षस्थ शैक्षिक निकायों में मूल्यांकनकर्त्ता के रूप में शामिल
हैं।
उन्हें अनुसंधान कार्यशालाओं तथा विभिन्न संकायों के सक्षमता
निर्माण कार्यक्रमों के आयोजन में विशेषज्ञता प्राप्त है। वे विभिन्न
सामुदायिक सेवा तथा एसयूपीडब्ल्यू कार्यक्रमों और समकालीन शिक्षा
प्रणाली में उनके समावेशन और क्रियान्वयन में विशेष रुचि रखती हैं।
वर्तमान में वे शिक्षा के क्षेत्र में कॉर्पोरेट की सामाजिक
जिम्मेदारी (सीएसआर) और सार्वजनिक निजी साझेदारी
(पीपीपी) मॉडल की अवधारणा कर कार्य कर रही हैं।
वे शिक्षा की कई पत्रिकाओं की सलाहकार और संपादकीय बोर्डों में हैं
और प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में कई लेखों
और अनुसंधान पत्रों के द्वारा महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
वे मानव संसाधन विकास मंत्रालय की नई शिक्षा नीति - 2016
के निर्माण हेतु एनसीटीई द्वारा गठित परामर्श समिति की
सदस्य रहीं तथा मा.सं.वि.मं. की कुछ अन्य शैक्षिक कार्यक्रम
कार्यान्वयन समितियों (पीआईसी) में सदस्य रहीं। वे एनसीटीई की
स्थायी समिति में भी रहीं तथा एनसीटीई की एजुकेशन रिसोर्सेज
डेवलपमेंट (ओईआर), समिति की अध्यक्ष भी रहीं। वे शिक्षा के क्षेत्र
में वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य के पुनर्निर्माण के मिशन के साथ
गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत और व्यावसायिक स्तर पर
शैक्षिक उत्कृष्टता हेतु कड़ी मेहनत कर रही हैं। वर्तमान में वे
एनआईओएस का नेतृत्व करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 के लिए
शिक्षा मंत्रालय के द्वारा निर्धारित कार्यनीतियों के क्रियान्वयन
हेतु प्रयासरत हैं।
उनकी शैक्षिक
दृष्टि समसामयिक शैक्षिक परिदृश्य के निम्नांकित प्रमुख क्षेत्रों
में परिलक्षित होती है :
- शिक्षण में नवाचार तथा अच्छे प्रयास
- मूल्य, नागरिकता और नैतिक शिक्षा के साथ भारतीय लोकाचार.
- पर्यावरणीय शिक्षा और शिक्षा में सतत विकास
- शिक्षा तथा वर्चुअल शिक्षा में आईसीटी का उपयोग
- सभी स्तरों पर समावेशी शिक्षा
- राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर के शिक्षा संदर्भों को शामिल करते हुए
शिक्षा के प्रतिमानों में बदलाव, जैसे - शांति, जेंडर मामले,
मानवाधिकार तथा विधि शिक्षा, कला और शिल्प शिक्षा की विरासत,
बहुभाषिकता, समुदाय शिक्षा, मातृत्व अध्ययन, स्वास्थ्य,
स्वच्छता, परिवार, जनसंख्या शिक्षा और कौशल आधारित
पाठ्यचर्या।